सरकारे बहरी ही होती है | वो विपक्ष और मीडिया है जो सरकारों तक जन की बात को ले जाता है | भारतीय जनतंत्र उस दौर में है जब की विपक्ष और मीडिया दोनों मरते प्रतीत हो रहे है | विपक्ष दिशाहीन है और मीडिया, पत्रकार घुटने के बल नहीं अपितु की पूर्णतया सत्ता चरणों में गिर चुके है|
मंदी एवं ख़त्म होती नौकरियों, निजीकरण पर कोई चर्चा नहीं है|
इस घटना पर एक शेयर ठीक बैठता है....
""लगा के आग शहर को बादशाह ने कहा की उठा है आज शौक तमाशे का
झुका कर सर सभी शाह परस्त बोल उठे हुजुर का शौक सलामत रहे शहर तो और भी बहुत है.""
# प्रताप अखिलेन्द्र
मंदी एवं ख़त्म होती नौकरियों, निजीकरण पर कोई चर्चा नहीं है|
इस घटना पर एक शेयर ठीक बैठता है....
""लगा के आग शहर को बादशाह ने कहा की उठा है आज शौक तमाशे का
झुका कर सर सभी शाह परस्त बोल उठे हुजुर का शौक सलामत रहे शहर तो और भी बहुत है.""
# प्रताप अखिलेन्द्र
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